
नवरात्रि व्रत में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है मां दुर्गा की नवरात्रि में पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और इसके साथ-साथ सभी कष्टों का निवारण भी होता है। मां दुर्गा के नौ रूपों की महिमा को बड़ी ही अच्छे ढंग से उजागर किया गया है। सारे माहौल में हर्षोल्लास फैल जाता है। चारों तरफ भक्ति के गीत सुनाई देते हैं। एक अलग सा वेग फैल जाता है।
एक पौराणिक कथा है कि महिषासुर नामक एक बड़ा ही शक्तिशाली रास्ता उसने अमर होने के लिए ब्रह्मा की कठोर तपस्या की और उसने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा ब्रह्मा ने अमर होने का वरदान ना देकर और कोई अन्य वरदान मांगने की अपेक्षा की तो उसने वरदान में कहा कि मेरी बिना किसी देवता ना तो किसी मानव या किसी स्त्री के हाथों से हो इसके बाद महिषासुर असुरों का राजा बन कर सारे देवताओं पर अत्याचार आक्रमण करने लगा देवताओं ने शिव विष्णु पर आस लगाकर उनसे गुजारिश की लेकिन उन्हें भी पराजय का सामना करना पड़ा तब कहीं जाकर सभी देवता ब्रह्मा जी की सलाह के अनुसार माता पार्वती के पास गए और उनसे गुजारिश की कि वह इस दुविधा से देवताओं को बाहर निकाले तब सभी देवताओं ने माता पार्वती के पास आकर उनकी 9 दिन तक माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना की फिर उन्होंने असुरो के संघार का वचन लिया असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण किया इसलिए नवरात्र शक्ति पर्व के रूप में मनाया जाता है। लगभग इसी तरह चैत्र शुक्ल से 9 दिनों तक देवी के आह्वान पर पशुओं के संग आर के लिए माता पार्वती ने अपने 9 रूप उत्पन्न किए थे सभी देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया था फिर माता पार्वती ने असुरों का अंत किया यह संपूर्ण घटना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक घटित हुई इसलिए चैत्र नवरात्र मनाया जाता है।
1) व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
2) देवी देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती है।
3) देवी के व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता है।
4) नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
5) दृढ़ निश्चय बनने में मदद मिलती है।
6) मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
7) तन मन की आत्म शुद्धि हो जाती है।
8) जो व्यक्ति नवरात्रि में उपवास रखता है उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
9) इस समय हलका आहार लेने पर आंसू गैस एसिडिटी पेशाब से छुटकारा मिलता है।
10) नवरात्रि में व्रत करने से व्यक्ति के मोटापे में कमी आती है।
11) आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है।
माँ स्कंदमाता

इस दिन को स्कंदमाता की पूजा का दिन माना जाता है स्कंद कुमार कर्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है भगवान स्कन्द बाल रूप में इन की गोद में विराजमान हैं इन माता की चार भुजाएं हैं इनकी एक वजह ऊपर और एक हाथ में अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है सिंह इनका वाहन है बाई तरफ बुझा वरद मुद्रा में है नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है।
स्कंदमाता की पूजा सामग्री
सामग्री में आचमन, वस्त्र, सौभाग्य, सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी सिंदूर,पूर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प हार, सुगंधित पदार्थ, धूप दीप,नैवेध, फल, पान, कमल के पुष्प आदि।
स्कन्दमाता की पूजा का महत्व

1) भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
2) साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
3) आराधना से सब कष्ट दूर हो जाते हैं।
4) भक्तों को साक्षात स्वरूप के भी दर्शन हो सकते हैं।
5) यह माता जल्द प्रसन्न हो जाती है इसलिए भक्तों के लिए यह ज्यादा लाभप्रद हैं।
स्कंदमाता की पूजन विधि
सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें पूजा स्थान पर पहुंचे उसके बाद चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर को प्रतिस्थापित कर प्रणाम करें अब कलश में पानी लेकर उसे चौकी पर रखें अब रोली कुमकुम लगाकर प्रतिमा को नैवेध अर्पित करें मां की आरती उतारने के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें।